गुरुवार, 2 जून 2011

भ्रष्टाचार का शोर



भ्रष्टाचार...भ्रष्टाचार ...भ्रष्टाचार पूरे हिन्दुस्तान में इन दिनों इस शब्द का शोर है...पहले इस शब्द का प्रयोग घरों के भीतर या एक छोटे से समुदाय के बीच होता था...जो लोग इसके चपेट में आते थे वो घरों के अंदर इसकी चर्चा करते थे...कि कहीं बिना पैसे के काम नहीं होता...उपर से लेकर नीचे तक के लोग भ्रष्ट हो चुके हैं...पर इतने व्यापक स्तर भ्रष्टाचार पर चर्चा नहीं हुई...भ्रष्टाचार का स्वरूप कभी-कभी टीवी स्क्रीन और अखबरों में दिखता था जब कोई नेता किसी घोटाले में फंसे नजर आते थे...थोड़े दिन चर्चा में रहने के बाद इस शब्द का शोर थम जाता था...मगर अन्ना हजारे ने अनशन क्या किया...हर जगह चाहे वो चाय के दुकान पर बुजुर्गों का बैठक हो...या कॉफी शॉप पर युवा लोगों की मस्ती एक बार तो भ्रष्टाचार चर्चा में आ ही जाता है..और फिर शुरू होता है तर्क वितर्क का दौर...अभी हाल में हम सारे दोस्तों को एक साथ बैठन का सौभाग्य प्राप्त हुआ...मैं सौभाग्य शब्द का प्रयोग इस लिए कर रही हूं क्योंकि जिंदगी को चलाने के लिए जिस चीज की जरूरत पड़ती है...पैसे और पैसे के लिए काम करना जरूरी होता है...और सारे दोस्त अपने अपने काम यानि जॉब में इतने व्यवस्त रहते है कि एक साथ मिलना मुश्किल होता है...मगर अपने एक दोस्त के जन्मदिन समारोह में आखिरकार हम सारे दोस्तों ने टाइम निकाल ही लिया...और फिर मस्ती के साथ साथ इस भ्रष्टाचार पर चर्चा छिड़ गया...पूरा देश के लोग अन्ना हजारे के समर्थन में खड़ा था..जब अन्ना हजारे अनशन पर बैठे थे तो ऐसा लग रहा था कि हां अब भ्रष्टाचार देश से खत्म होने वाला है ...हो सकता है इस असुर का अंत...पर यहां सवाल यह उठता है कि भ्रष्टाचार के कौन से स्तर का अंत होगा...जब यहां नीचे से उपर तक यानि परत दर परत भ्रष्टाचार का बोलबाला है...जो लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते नजर आते है...वो भी कहीं ना कही भ्रष्टाचार में लिप्त होते है...चाहे वो छोटे स्तर पर ही भ्रष्ट क्यों ना हो…हमारी चर्चा शुरू होते होते...दोस्तों के दो पक्ष हो गये...एक का कहना चाहे कुछ भी भ्रष्टाचारा का अंत नहीं होगा...तो दूसरे पक्ष का कहना था कि नहीं अब शुरूआत हो चुकी है और भ्रष्टाचार खत्म होगा...सवाल ये है कि अन्ना हजारे या बाबा रामदेव के इस हंगामें से भ्रष्टाचार और भ्रष्टलोगों का अंत होगा...सवाल यह भी है कि अगर कॉमवेल्थ गेम घोटाला या फिर ए.राजा का हजारों करोड़ रूपये का घोटाला अगर सामने नहीं आता तो भ्रष्टाचार का शोर इतना पैदा होता...जवाब शायद नहीं में होगा...क्योंकि लोगों तो पहले से ही हर स्तर पर घोटाले कर रहे थे..पैसे लेकर अपनी जेब भर रहे थे...नेता पहले से ही स्विस बैंक में पैसे भेज रहे थे...तो तब ये लोग उठकर हंगामा क्यों नहीं किया...जब इन्होने देखा अरे यार हम तो बस लाख और करोड़ का घोटाला किये मगर यहां तो ऐसे बैठे है जो अरबों रूपया पचा रहे है...और जब इनके खिलाफ अन्ना हजारे और रामदेव जैसे ईमानदार इंसान खड़े हुए तो वो तमाम लोग भी उठ खड़े हुए जो अपने स्तर पर घोटाले में शामिल है...मगर चुकी इनके घोटाला छोटा है तो इसे नजर अंदाज किया जा सकता है शायद इन लोगों ने यहीं सोचा कर इस आंदोलन में खड़े हुए...मगर सवाल यह है कि जो लोग इस आंदोलन में शामिल हुए या फिर शामिल हो रहे है...इसके बाद इन्होने पैसे लेना और देना बंद कर दिया...क्या अब दफ्तरों में काम करने के लिए अधिकारी पैसे नहीं लेते...और क्या वो लोग जिन्हें काम जल्दी कराने की फिक्र होती है और इसके लिए वो घूस देने से नहीं चूकते वो अब ये काम करना बंद हो गया...पर शायद ही ऐसा हुआ हो...दोनो में से कोई भी अपनी तरफ से पहल नहीं किया होगा...सब यहीं चाहते है कि पहले बड़े स्तर के भ्रष्टाचार खत्म हो तभी वो अपनी तरफ से पहल करेंगे...सबसे पहले भ्रष्टाचार की परिभाषा क्या होती है...क्या पैसे का लेन देन ही भ्रष्टाचार है या फिर नियमों की धज्जियां उड़ाना भी इस दायरे में आता है...हम सब रोड पर चलते है मगर कभी भी रोड के नियमों का पालन नहीं करते...सभी पार्क में जाते है मगर पार्क के साफ सुथरा रखने की कवायद में शामिल नहीं होते...और भी बहुत ऐसे नियम है जिसकी अनदेखी करते है...डिएल बनना हो तो उसमें टाइम लग रहा है तो घूस देकर जल्दी काम करा लो..कोई बिल पास करना है तो यार कौन लम्बे झंझट में कौन पड़े पैसे देकर जल्दी से काम करा लो...

ये सारे उदाहरण भी भ्रष्टाचार में शामिल होगे या नहीं...खैर अन्ना हजारे ने जिस लोकपाल बिल को लेकर अनशन शुरू किया...वो भी विवादों के दायरे में आ गया...मगर इससे अन्ना हजारे के नियत पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है...अन्ना हजारे ने जिस आंदोलन को शुरू किया वो सहीं में काबिले तारीफ है..और लोकपाल बिल अगर कानून की शक्ल में आ जाता है जो जरूर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में एक हद तक कामयाबी तो मिलेंगी...अन्ना हजारे और रामदेव की मुहिम निश्चित ही सराहनीय है ...और हिन्दुस्तान को भ्रष्टाचार से छुटकारा दिलाने के लिए हर एक व्यक्ति को पहले खुद को इस दाग से मुक्त करके...और फिर समाज को भ्रष्टाचार से मुक्त करना होगा...तब जाकर हिन्दुस्तान शब्द का असली अर्थ सामने आयेगा.

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