शनिवार, 4 सितंबर 2010

एक कहानी अंजली की...


अंजली जो एक छोटे से शहर को छोड़ राजधानी दिल्ली आयी थी…आंखों में हज़ारों सपनों के साथ। घर से जब वो स्टेशन की तरफ रवाना हो रही थी ट्रेन पकड़ने के लिए उन सपनों के साथ जो उसे पूरा करना था...पर पता नहीं क्यों उसे लग रहा था कि वो उन सपनों के बदले वो कोई बड़ी कीमत चुका रही है...स्टेशन पर एक शख्स उसे बार-बार भरे आंखों के साथ निहार रहा था अंजली भी पापा से छुपकर उसे एक नजर देख रही थी अंजली का दिल रो रहा था...घर से दूर जाना और अपने पहले प्यार से ज़ुदा होना अंजली को मंहगा सौदा लग रहा था। ट्रेन तय समय पर था..ट्रेन आई और अंजली पहली बार अकेली ट्रेन में बैठ गई। ट्रेन चलने लगी और अंजली को रोना आ रहा था खुद पर गुस्सा रहा था कि आखिर क्यों वो दिल्ली जाकर पढ़ना चाहती है क्यों वो मम्मी और पापा के साथ अपने साथी को छोड़ कर इतनी दूर जा रही है। वो अपने साथी से कैसे बातकर पायेगी...इसी सोच के साथ अंजली दिल्ली पहुंच गई और दिल्ली आने के बाद अंजली ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए पहला कदम बढ़ाया और दो साल बाद पढ़ाई करने के बाद पहला जॉब प्राप्त किया। इन दो सालों में अंजली के जीवन में पहला प्यार ही था...और अंजली की चाहत भी पूरी ज़िंदगी उसी के साथ जीवन बीतना था। समय के साथ अंजली की चाहत बदलने लगी...काम में कुछ अलग करना अंजली की प्राथमिकता बनती गई और वो बाकी चीजों से कटने लगी...ऐसा नहीं था कि अंजली जानबूझ कर कट रही थी वो न चाहते हुए भी कुछ चीजों से दूर होती जा रही थी और इसका मलाल उसे था भी। वो अपनी चाहत से दूर होती गयी ...ऐसा नहीं था कि उसका प्यार उससे दूर हो गया...वो तो वहीं था जहां से उसने चलना शुरू किया था...उसके प्यार में उतनी ही शिद्दत थी उसी शिद्दत से वो अंजली को चाहता था, मगर दोनों के रिश्तें में खटास पैदा होने लगी। अंजली की चाहत वो नहीं रही जो पहले थे और इसका कसूरवार अंजली कहीं न कहीं खुद को मानती थी...क्योंकि जॉब के बाद अंजली की चाहत को कोई नया मोड़ मिल गया था या यू कहिएं की अंजली की चाहत किसी और के लिए हो गयी थी। अंजली किसी और को चाहने लगी थी...लेकिन अंजली की किस्मत में वो प्यार नहीं था..एक चाहत से खुद दूर हुई और दूसरी चाहत ऐसी जो एकतरफा थी। लेकिन अंजली को इसबात का मलाल नहीं था कि उसकी दूसरी चाहत एकतरफा है, वो तो बस उस पल को जी रही थी, मगर उसे एक चीज हमेशा सलती की वो उस इंसान को उस जगह पर छोड़ दिया जो उसे बेहद प्यार करता है जिसने तमाम उम्र उसके नाम कर दिया, मगर अंजली क्या करती वो दिल से मजबूर थी, उसे लगता की वो उस इंसान से धोखा की है, वो उसके पास नहीं जा सकती थी, क्योंकि वो उसके प्यार के काबिल रह ही नहीं गयी। खुद को दोषी और किसी के प्यार के एहसास ने अंजली को उसके कुछ करने के सपनों को तोड़ने लगा था। जो वक्त अंजली को अपने काम में आगे बढ़ने के लिए करना चाहिए था अंजली इन रिश्तों में उलझकर खोती जा रही थी। कभी अंजली को लगता की वो सबकुछ छोड़कर कहीं चली जाएं...तो कभी लगता की वो हमेशा के लिए वहां अपना आशिया बसा ले जहां उसके घरवाले चाहते है। अंजली के जीवन में सिर्फ यहीं दो मुश्किलें नहीं थी...घरवाले भी अंजली पर दवाब डालने लगे थे कि अंजली की शादी हो जाएं क्योंकि अंजली को पढ़ाना और उसे उसके करियर के पहली सीढ़ी तक पहुंचाने की जिम्मेदारी पूरी हो गयी थी और वो उसकी शादी कर उसकी दूसरी जिम्मेदारी भी पूरी करना चाहते थे। यूं कहिए तो अंजली तीन तरफ से घिरी हुई थी...और शायद ऐसे उलझनों में पड़ कर अंजली अपने करियर से दूर होती जा रही थी। एक समय ऐसा आया की अंजली सबकुछ वक्त के हवाले कर दिया.
अंजली की ज़िंदगी आगे क्या मोड़ लिया और क्या अंजली दोषी है किसी की ? आप अपनी राय बता सकते है, अगले अंश में पता चले की आपकी राय अंजली की ज़िंदगी से कितनी मिलती जुलती है......क्रमश:

3 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी प्रस्तुति ..कहानी में प्रवाह है ...चलिए अगली कड़ी का इंतज़ार है ..

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  2. ANJALI KI KAHANI JYADA SE JYADA LOGO KO PADHANI CHAHIYE...

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  3. Anjali do that what is her parent said her about choosing her life patner

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