शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

'लाल ' सलाम बदला 'लाल' आतंक में


जब पापा के साथ उनके पार्टी मीटिंग में जाती थी...या सम्मेलन में जाती थी...तो कार्यक्रम की शुरूआत लाल सलाम के साथ शुरू होती थी उस वक्त अंदर से एक अलग अनुभव होता था। पापा चुंकी कामरेड है...इस लिए मेरा झुकाव इस ओर ज़्यादा हुआ। वामपंथ के विचारधारा से मैं बहुत ज्यादा इतफ़ाक रखती हूं...क्योंकि इस विचारधारा में अपने हक़ के लिए लड़ना और सही होने पर झुकना नहीं सिखाता...परंतू आज नक्सलवाद का यह स्वरूप देखकर लगता है...कि क्या यह वहीं नक्सल मुहिम है जिसे चारू मजूमदार और सानू कन्याल ने शुरू किया था...आज बहुत लोग नक्सलवाद के संस्थापक को गाली देते है कि उनके कारण ही आज देश में यह नाग फैन फैलाये बढ़ता जा रहा है। कभी लोगों की सहानुभूति बढोतरते नक्सली आज लोगों के गुस्से का शिकार हो रहे है। नक्सली पुलिस मुठभेड़ में आएं दिन जवानों की मौत हो रही है...ये सुर्खीयां नहीं बढ़ोतरती क्योंकि आएं दिन ऐसी घटनाएं हो रही है...परंतू बिहार के लखीसराय में चार पुलिसकर्मियों को किडनैप करना और फिर अपने आठ साथियों की मांग करना...और फिर एक हवलदार लुकस टेटे को मौत के घाट उतार देना...नक्सलियों के एक अलग रूप को दिखात है जो बेहद ही हैवानियत से भरा हुआ है...जो देश के लिए सचमुच ख़तरनाक बन गया है। अपने अधिकारों के लिए हथियार उठाना...फिर बेगुनाहों को मारना कहां तक सही है। अधिकारों की बात करते है....मगर नक्सली लुकस टेटे को मारते हुए ये क्यों नहीं देखे कि वो एक गरीब घर का है...उसके बच्चे छोटे-छोटे बच्चे है...उनका जीने का सहारा छिनने के बाद उन बच्चों का क्या होगा...बच्चें बड़े होकर क्या बनेंगे...क्या यह उनबच्चों के अधिकारों को नहीं छिन रहे है। मुझे नक्सली पसंद थे...जब वो अपने हक़ की लड़ाई लड़ने की बात करते थे...परंतू इसतरह लड़ाई लड़ना मुझे इनसे अब घृणा हो गई है। यार हक़ की लड़ाई लड़ो मगर मगर एक सिस्टम के तहत लड़ों...आप सिस्टम के खिलाफ़ लड़ रहे हो...सिस्टम को सहीं करने की बात कह रहें हो..मगर आपभी तो गलत कदम के साथ इस ओर बढ़ रहे हो। इसतरह के काम करके तो आप खुद उनलोगों से दूर हो रहे हो जो आपका कभी सपोर्ट किया करते थे।
सरकार नक्सलियों की खात्में की बात करता है...क्या ग्रीन हैंट चलाकर ये नक्सलियों का खातमा कर सकते है... तबतक सरकार या जवान ये काम को अंजाम नहीं दे सकते जब तक ये नक्सलवाद के जड़ तक न जाएं...नक्सली हमारे ही समाज का हिस्सा है और हमारे ही बीच रहते है...जवान कैसे एक गांव वाले और नक्सली को बचानेगे...ऐसे –ऐसे जंगल है जहां के भौगोलिक स्तर से नक्सली जुड़े है उन बिहड़ जंगलों में जाकर जवान कैसे मारेंगे उनको। दंतेवाड़ा में जिसतरह जवानों को चूहे की तरह मारा गया...यह सरकार की उसी ऑपरेशन के लचराता को दिखाता है। पूरी प्लानिंग के तहत मुहिम नहीं चलाई जा रही है...वैसे ही जवानों को रवाना कर दिया जाता है नक्सलियों को मारने के लिए नक्सली तो नहीं मारे जा रहे है...मरते है बेचारे जवान। बिहार के लखीसराय की घटना में पुलिसलोगो का बयान से यह साफ हो गया कि जब उनको मुहिम पर भेजा गया तो वो तकनीकि रूप से सक्षम नहीं थे...और उनकी जरूरी मदद भी नहीं पहुचाई गई।
नक्सली और सरकार दोनो को शांती की पहल करनी होगी...क्योंकि दोनो के इस मुहिम से न तो सरकार नक्सलियों पर विजय पा सकता है और नक्सली अपने इस हैवानियत भरे काम से सरकार पर किसी तरह का दबाव बना सकता है। आज नक्सली अपने पथ से भटक रहे है...इनके पास भी लाखों की संख्या में सेना है तो सरकार के पास भी अगर हिंसा के साथ ये आगे बढ़े तो सिवा खून बहने के अलावा कुछ नहीं होगा...नक्सली पैदा होते रहेंगे और सरकार इन्हें कुचलने के लिए सेना का इस्तेमाल करेगी...समय रहते दोनो को कोई ठोस निर्णय लेना होगा। नक्सलियों को सामने आकर बातचीत करनी होगी। नेपाल में जिसतरह माओवादी हिंसा छोड़ सिस्टम में शामिल हुए...उसी तरह की पहल हमारे देश में नक्सलियों के द्वारा भी होना चाहिए...आप बात तो करो।
जब चारूमजूमदार और सानू कन्याल ने नक्लवाद को शुरू किया था...तो उस समय बड़े-बड़े घरों के बच्चे इस वाद के साथ हो लिए थे...और इनकी इसी कोशिश से और विचार से लोग अभी भी प्रभावित होते है...मगर नक्सलियों के इस भटकाव से इस वाद से दूरी बनना शुरू हो सकता है। नक्सलियों के लाल सलाम को लाल आतंक का नाम दे दिया गया...उस लाल सलाम जो लड़ने का जोश पैदा करता था...मगर किसी का खून बहा कर नहीं...मजलूमों को हथियार बनाकर नहीं.. अपने जज़्बे के साथ वो अपने हक़ की लड़ाई की बात करता था।
आतंकी मत बनों ऐ नक्सली
कुछ तो लाज़ रखों लाल सलाम का
उनका सर क्यों झुका रहे हो
जिने शुरू किया वाद
रखते हो फोटो उनका तुम
सिद्दांतो का करते बखान
कहां गये वो सिद्दांत
जो मजलूमों के हक़ की बात करता था
आज तुम अपने ही साथियों सता रहे हो
बहा रहे हो गरीबों का खून
आतंकी मत बनों ऐ नक्सली

1 टिप्पणी: