
सड़क के किनारे
खड़ा एक पुराना ट्रैक्टर
मासूमों की एक टोली
खेल रही थी गुड्डे-गुड़ियों का खेल
देख इसे याद आई मुझे मेरा बचपन
मैं भी खेली थी ये खेल
इनके बचपन मेरे बचपन
दोनो है एक सा
एक सी है भावना
पर नहीं है एक सा पहनावा
मेरे पास थे अच्छे कपड़े
ये फटे कपड़े में है खुश
नहीं है एक सा खेलों का सामना
मेर पास थे सुंदर गुड्डे-गुड़िये
ये बेचारे ईट के टुकड़े को बनाया
अपने खेल का सामान
छोटी ईट बन गई गुड़िया रानी
बड़े ईट हो गये गुड्डे राजा
काश भावनाओं की तरह
इनको भी मिल जाएं वो हक़
जिनके है ये हक़दार
तभी होगा आज़ादी का सही मतलब
खड़ा एक पुराना ट्रैक्टर
मासूमों की एक टोली
खेल रही थी गुड्डे-गुड़ियों का खेल
देख इसे याद आई मुझे मेरा बचपन
मैं भी खेली थी ये खेल
इनके बचपन मेरे बचपन
दोनो है एक सा
एक सी है भावना
पर नहीं है एक सा पहनावा
मेरे पास थे अच्छे कपड़े
ये फटे कपड़े में है खुश
नहीं है एक सा खेलों का सामना
मेर पास थे सुंदर गुड्डे-गुड़िये
ये बेचारे ईट के टुकड़े को बनाया
अपने खेल का सामान
छोटी ईट बन गई गुड़िया रानी
बड़े ईट हो गये गुड्डे राजा
काश भावनाओं की तरह
इनको भी मिल जाएं वो हक़
जिनके है ये हक़दार
तभी होगा आज़ादी का सही मतलब
काश भावनाओं की तरह
जवाब देंहटाएंइनको भी मिल जाएं वो हक़
जिनके है ये हक़दार
तभी होगा आज़ादी का सही मतलब
सही मायने में आजादी तो तभी होगी
तभी होगा आज़ादी का सही मतलब........
जवाब देंहटाएंinke liye vkya aazadi...........nice poem
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