गुरुवार, 17 सितंबर 2009

एक बार फिर लालू

जब तक रहेगा समोसा में आलू बिहार में रहेगा लालू..लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद सभी को लगता था कि लालू का पत्ता बिहार से सफाया हो गया है, लेकिन उपचुनाव में छह सीटों पर जीत हासिल कर लालू ने सभी को ये चेतावनी दे दी की कुछ भी हो जाये लालू का खात्मा बिहार से कभी भी नहीं हो सकता है। विधानसभा चुनाव से पहले हुए इस उपचुनाव ने लालू के जनाधार को मजबूत किया है....और लालू जी इसे आनेवाले विधानसभा चुनाव में जरूर भुनाने की कोशिश करेंगे। लालू के कभी दुश्मन परन्तु लोकसभा चुनाव में दोस्त बने रामविलास पासवान ने भी तीन सीटों पर जीत हासिल की, जबकि लोकसभा चुनाव में एलजेपी ने बिहार में खाता भी नहीं खोल पाये थे। नीतीश का सुशासन का राग जितना लोकसभा चुनाव में चला, महज कुछ महिनें बाद ही इस सुशासन का राग मंद पड़ गया। नीतीश को उपचुनाव में तीन सीट ही मिल पाई। वही बीजेपी और कांग्रेस को दो-दो सीट मिले। बीएसपी ने भी एक सीट पर जीत हासिल कर ये तो कह ही दिया है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में हम किसी से पीछे नहीं रहेंगे। 18 सीटों पर हुए इस उपचुनाव के फैसले लोकसभा चुनाव के फैसले से बिल्कुल उलट हैं।
सवाल ये उठता हैं कि आखिर कुछ ही महिनों में ऐसा क्या हो गया कि चुनाव के नतीजे इतने उल्टे आये। लालू ने कुछ महीनों में बिहार के जनता को क्या घूटी पिला दी की जो बिहार की जनता लोकसभा चुनाव में लालू को और पासवान को पटखनी दे दी थी वो उन्हें उपचुनाव में सरताज पहना दिया। लालू के शब्दों के जादू को तो सभी मानते हैं उनके वाक्यपटुता के देश –विदेश के लोग दिवाने है, पर लोकसभा चुनाव में लालू का कोई भी जादू काम नहीं कर पाया था। क्या कुछ ही महिनों में बिहार में इतना अराजकता फैल गया कि बिहार के जनता ने नीतीश को नकार लालू को अपनाने की सोची। खैर जो भी हो अगामी विधानसभा चुनाव को लेकर लालू तो अब रात में सोते हुए फिर से बिहार की बागडोर संभालने के सपने तो देख ही सकते है। इस उपचुनाव ने लालू- पासवान के आंखो में सपना जरूर लेकर आया है, जिससे लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद देखना छोड़ चुके थे।
हम तो यहीं कहेंगे लालू जी और पासवान जी सपने देखियेगा जरूर परन्तु हकिक़त के साथ क्योंकि जनता अब जाग चुकी हैं और कहते हैं न ये पब्लिक है..सब जानती है..कब वो किसी को आसमान की बुलंदियों पर पहुंचा दे और कब वो किसी को गर्दिश का तारा बना दे कोई भी पार्टी इसका आकलन नहीं कर सकता।

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छा लिखा है आपने । विचारों की प्रखर अभिव्यक्ति और भाषिक संवेदना ने लेख को प्रभावशाली बना दिया है ।

    मैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-रोजगार और बाजार से जुडी हिंदी, जगा रही अपार संभावनाएं । समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-

    http://www.ashokvichar.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. कहते हैं न ये पब्लिक है..सब जानती है..कब वो किसी को आसमान की बुलंदियों पर पहुंचा दे और कब वो किसी को गर्दिश का तारा बना दे कोई भी पार्टी इसका आकलन नहीं कर सकता।

    -सत्य वचन!!

    जवाब देंहटाएं
  3. नीतू जी आप तो कमाल का लिखती हैं, पहले लेख के बाद ऐसा लग रहा था कि आप---लेकिन आप को उच्‍च स्‍तर की लिखाड हैं भाई, झक्‍कास। पढकर मजा आ गया, ऐसे ही लिखते रहिये।

    जवाब देंहटाएं
  4. शुरूआत अच्छी है। लगातार लिखती रहें तो लेखन में और पैनापन आएगा। शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं