
सवाल ये उठता हैं कि आखिर कुछ ही महिनों में ऐसा क्या हो गया कि चुनाव के नतीजे इतने उल्टे आये। लालू ने कुछ महीनों में बिहार के जनता को क्या घूटी पिला दी की जो बिहार की जनता लोकसभा चुनाव में लालू को और पासवान को पटखनी दे दी थी वो उन्हें उपचुनाव में सरताज पहना दिया। लालू के शब्दों के जादू को तो सभी मानते हैं उनके वाक्यपटुता के देश –विदेश के लोग दिवाने है, पर लोकसभा चुनाव में लालू का कोई भी जादू काम नहीं कर पाया था। क्या कुछ ही महिनों में बिहार में इतना अराजकता फैल गया कि बिहार के जनता ने नीतीश को नकार लालू को अपनाने की सोची। खैर जो भी हो अगामी विधानसभा चुनाव को लेकर लालू तो अब रात में सोते हुए फिर से बिहार की बागडोर संभालने के सपने तो देख ही सकते है। इस उपचुनाव ने लालू- पासवान के आंखो में सपना जरूर लेकर आया है, जिससे लोकसभा चुनाव के रिजल्ट के बाद देखना छोड़ चुके थे।
हम तो यहीं कहेंगे लालू जी और पासवान जी सपने देखियेगा जरूर परन्तु हकिक़त के साथ क्योंकि जनता अब जाग चुकी हैं और कहते हैं न ये पब्लिक है..सब जानती है..कब वो किसी को आसमान की बुलंदियों पर पहुंचा दे और कब वो किसी को गर्दिश का तारा बना दे कोई भी पार्टी इसका आकलन नहीं कर सकता।
बहुत अच्छा लिखा है आपने । विचारों की प्रखर अभिव्यक्ति और भाषिक संवेदना ने लेख को प्रभावशाली बना दिया है ।
जवाब देंहटाएंमैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-रोजगार और बाजार से जुडी हिंदी, जगा रही अपार संभावनाएं । समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-
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प्रवाहमयी खूबसूरत आलेख.
जवाब देंहटाएंकहते हैं न ये पब्लिक है..सब जानती है..कब वो किसी को आसमान की बुलंदियों पर पहुंचा दे और कब वो किसी को गर्दिश का तारा बना दे कोई भी पार्टी इसका आकलन नहीं कर सकता।
जवाब देंहटाएं-सत्य वचन!!
अच्छा लिखती हैं आप
जवाब देंहटाएंनीतू जी आप तो कमाल का लिखती हैं, पहले लेख के बाद ऐसा लग रहा था कि आप---लेकिन आप को उच्च स्तर की लिखाड हैं भाई, झक्कास। पढकर मजा आ गया, ऐसे ही लिखते रहिये।
जवाब देंहटाएंशुरूआत अच्छी है। लगातार लिखती रहें तो लेखन में और पैनापन आएगा। शुभकामनाएं।
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