शुक्रवार, 7 जनवरी 2011

रूपम का सच


आखिरकार सब्र का बांध टूटा और हाथ में आ गया चाकू...और इस चाकू के निशाने बने पूर्णिया के विधायक रामकिशोर केसरी, रूपम पेश से टीचर...बच्चों में सभ्य आचरण की शिक्षा का प्रवाह करने वाली, बच्चों को एक बेहतर इंसान बनाने की कोशिश करने वाली शिक्षिका रूपम क्यों अपराधी बन गयी...क्यों उसने सरेआम विधायक के सीने में खंजर फोंक कर मौत के घाट उतार दिया...कई सवाल उभरते है...आखिर एक पढ़ी-लिखी महिला ने यह कदम क्यों उठाया...इन सवालों के जवाब खोजने से पहले रूपम और रामकिशोर केसरी की कहानी को देखते है...
पूर्णिया के विधायक राजकिशोर केसरी चार बार से पूर्णिया से विधायक बनते आ रहे है...बीजेपी के नेता राजकिशोर केसरी पूर्णिया में बेहद ही चर्चित इंसान थे...विधायक की ज़िम्मेदारी को वो बखूबी पूरा करते थे...और रूपम इम्फॉल में अपने पति के साथ रहती थी...और वहां स्कूल में बच्चों को पढ़ाती थी...पर रूपम इम्फॉल में ज्यादा दिन नहीं रही और आ पहुंची अपनी मातृभूमी पूर्णिया में...यहां रूपम अपने पति के साथ मिलकर स्कूल खोली....रूपम की राजकिशोर से मुलाकात का कारण बना यह स्कूल, स्कूल के एक कल्चरल प्रोग्राम में रूपम ने विधायक जी को बुलाया...और यहीं से इन दोनों का मेल-मिलाप बढ़ा...विधायक जी ने रूपम के स्कूल तक सड़क का निर्माण भी करवाया...फिर अचानक एक दिन रूपम थाने पहुंची और धारा 164 के अंतर्गत बयान दर्ज कराया कि राजकिशोर केसरी उनके साथ रेप किये है...और उसके कुछ दिनों बाद रूपम अपने बयान से मुकर गई...अपना बयान उन्होंने वापस ले लिया...एक साल बाद रूपम जगी और इसका जागना राजकिशोर केसरी को हमेशा के लिए सुलाना था...एक सालों से रूपम पर विधायक ज्यादतियां करता आ रहा था...और वो बर्दाश करती आ रही थी...क्योंकि विधायक जी एक रसूकदार थे...सत्ता में उनकी खासी पहुंच थी...और हमारे देश के सिस्टम का क्या कहना...वो तो राजनीतिकों के हाथों में खेलता रहता है...बेचारी रूपम कहां जाती किससे अपने दर्द को सुनाती.
ये तो रूपम और राजकिशोर की कहानी का सार है...मगर सवाल ये है कि अगर रूपम ने चाकू क्यों उठाया..वो भी अचानक...रूपम अगर राजकिशोर से नफरत करती और उसे सज़ा से कोई डर नहीं था तो वो राजकिशोर को गोली भी मार सकती थी...फिर सवाल ये उठाता कि वो पिस्टल कहां से लाती तो ये बेतूका सवाल होता कि इतनी पहुंचवाली महिला,संपन्न महिला क्या एक पिस्टल का जुगाड़ नहीं कर सकती थी...नारी यानी कोमल...फिर इतना क्रूर हत्या कैसी कर सकती थी...और इसका जवाब यह कि वो इतने दर्द में उस वक्त थी कि वो विधायक रूप शैतान को बेरहमी से मारना चाहती थी.
मीडिया में सूर्खियों में आए इस मर्डर मिस्टी की हकीकत अगर सामने आएं तो कोई भी इस महिला को ग़लत करार नहीं देगा...इस हत्या के पीछे बेहद ही भयावह सत्य है...वैसे इसकी कोई पुख्ता सबूत नहीं मगर फिर भी जो तथ्य सामने आ रहे है...उसके अनुसार विधायक रूपम को परेशान तो करता ही था...उसको अपनी हवस का शिकार तो बनाया ही...साथ ही अपने कार्यकर्ताओं को भी रूपम के शरीर से खेलने के लिए भेजता था...रूपम यहां तक तो बर्दाश करती आयी...मगर जब एक औरत के बेटी पर कोई निशाना बनाये तो शायद ही कोई मां चुप रह सकती है...इस कहानी में भी यही था...विधायक साहब ने रूपम की बेटी को भी निशाना बनाना चाहा और बेटी के कुछ असलील विडियों बना कर रूपम को ब्लैक मेल करना शुरू कर दिया...मगर एक मां को यह बर्दाश नहीं हुआ..और वो काली का रूप ले शैतान का अंत कर दी...चूकी इस बात के पुख्ता सबूत तो नहीं, मगर इस निर्मम हत्या के पीछे का कुछ ऐसा ही सच है...दर्द की इंतहा और कोई सुनवाई नहीं होने पर ऐसा होना आम बात है...विधायक के अंत होने के साथ कई और सवाल उठता है कि आखिर क्यों हमारा सिस्टम कुछ रसूखदार के हाथों की कठपुतली बन चुकी है..यह सिर्फ रूपम की कहानी नहीं है..हमारे देश में कई ऐसी रूपम है जो रसूखदार के हाथों शोषित होती रहती है.. कुछ लोग यह सवाल उठा सकते है कि रूपम कौन सी दूध की धुली थी...उसने भी तो विधायक से दोस्ती अपने फायदे के लिए की...यह सही है कि रूपम और विधायक की दोस्ती मर्जी से बनी...मगर कोई न कोई ऐसी घटना हुई कि रूपम उसे मार देती है...यह जानते हुए कि उसके बचने की कोई भी कोशिश कामयाब नहीं होगी...तो यह कहना सहीं नहीं होगा कि वो बेहद दर्द में थी...इतनी दर्द में की वो अपने सोचने समझने की शक्ति खो चुकी थी...सच क्या है ये तो बिहार की सरकार जानती ही है...मगर कुछ बोलने से इंकार कर रही है...नीतीश कुमार जांच की बात करते है...तो उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी तो इस हत्या को राजनीतिक साज़िश करार दे दिया है...एक ही सत्ता के दोनों सहयोगी एक दूसरे से इत्तफ़ाक नहीं रखते...और जो आवाम इत्तफ़ाक रखती है...उसके सामने पूरी सच आती नहीं है...क्योंकि पैसे और पावर के बल पर उसे सामने आने ही नहीं दिया जाता है...मगर इन सबके बीच ऐसी घटना एक सामाजिक क्रांति बन गई है क्योंकि अगर सिस्टम ऐसे ही काम करती रही इंसाफ के लिए कई रुपम सामने आने लगेगी..हालांकि यह सभ्य समाज के लिए सहीं नहीं होगा..मगर एक हिंसा मुक्त समाज बनाने के लिए एक ऐसी सिस्टम बनाना होगा जो सभी को एक निगाह से देखे.

1 टिप्पणी:

  1. इस मुद्दे को इस एंगल से नहीं देखा था अब तक.. सोचने पर मजबूर किया है आपने

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