गुरुवार, 18 मार्च 2010

सपने की उम्र

सपने की उम्र तब तक
जबतलक आंख न खुलें
जी लेते हर रंग को
सपनों की इस छोटी सी उम्र में
पा लेते उस पल को
जो हक़िक़त में न हो सके कभी पूरे
बचपन की यादें हो या फिर
जवानी की ख्वाहिशे
सपने हमें ले जाता उन पलों में
और कहता है हमसे
देख लो उस पल को फिर से जो जी चुके हो
रूबरू हो जाओं उस एहसास से
जिसे तुम हक़िक़त में जीना चाहते हो
सपने की उम्र तब तक
जबतलक आंख न खुलें।

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